लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के सचेतक, सांसद तथा कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता दीपेन्द्र हुड्डा ने हरियाणा में बीते दिसम्बर महीने का लिंगानुपात 900 के पार होने के लिये सभी को बधाई देने के साथ लिंगानुपात में धीमे-धीमे हुए इस सुधार का पूर्ण श्रेय सभी प्रदेशवासियों, विशेष रूप से महिलाओं को दिया। उन्होंने सवाल भी उठाया कि दिसम्बर महीने में लिंगानुपात 900 के ऊपर पहुंचा है, मगर पूरे साल का औसत देखें तो सालाना औसत 2013 के 879 के मुकाबले 2015 में केवल 876 रह गया है। इस कमी का कारण सरकार को प्रदेश की जनता से बताना चाहिए। लिंगानुपात में सुधार का श्रेय खुद लेकर मुख्यमंत्री अपने मुंह मियां मिठ्ठू बनते हैं, जबकि आंकड़ों की हकीकत ये है कि सालाना औसत में सकारात्मक बदलाव पिछले 10 वर्षों में धीमे-धीमे हरियाणा के लोगों में बढ़ती जागरुकता से संभव हो पाया है। एक दशक पहले 2006 में हरियाणा का औसत लिंगानुपात 830 था। 2009 में 860 तथा यह 2013 में बढ़कर 879 हो गया और अब वर्ष 2015 के दिसम्बर महीने में 903 तक पहुंचा है। दूसरे प्रदेशों के मुकाबले कम लिंगानुपात के माथे पर लगे इस कलंक को मिटाने के लिये 2005 में सरकार बनते ही चौधरी भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने इस दिशा में काम करना शुरु कर दिया और देश में पहली बार बालिकाओं के उज्जवल भविष्य के लिये ‘लाडली योजना’ समेत अनेकों योजनाएं लागू कीं। ये नीतियां एक महत्वपूर्ण कारण बनीं, कि लगभग एक दशक में धीमे-धीमे औसत लिंगानुपात 830 से दिसम्बर महीने में 900 के पार पहुंच गया।
तथ्यों के साथ अपनी बात स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना पिछले साल 22 जनवरी को पानीपत में शुरु की गयी थी। 06 जनवरी 2015 और 17 नवम्बर 2015 को केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने पत्र लिखकर जानकारी दी कि इस योजना के लिये केन्द्र सरकार से 2 करोड़ 23 लाख रुपया प्रदेश सरकार को मिला था। जिसमें से पिछले पूरे एक वर्ष में खट्टर सरकार केवल 36.89 लाख ही खर्च कर पायी, बाकी पैसा लैप्स हो गया। इसके अलावा जो 36 लाख रुपया खर्च हुआ है उसमें से एक नया पैसा भी सिरसा जैसे जिले में खर्च नहीं हुआ है। जबकि, लिंगानुपात में सुधार के संबंध में सिरसा जिले ने पूरे प्रदेश के सामने नजीर पेश की है। यहां प्रति हजार बालकों पर 999 के साथ पूरे प्रदेश का सबसे बढ़िया लिंगानुपात दर्ज किया गया है।
सांसद ने चिंता जतायी कि जिस ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना का इतना ढ़िंढोरा पीटा जा रहा हो उसके लिये सालाना बजट केवल 2.23 करोड़ रुपये रखने से और इसमें से भी केवल 36 लाख रुपये ही खर्च कर पाने से प्रदेश में एक विपरीत संदेश गया है। इससे साफ पता चलता है कि यह सरकार महिलाओं के लिये बनी योजनाओं के क्रियान्वयन में कितनी गंभीर है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के सालाना बजट 2.23 करोड़ को नाकाफी करार देते हुए सांसद ने कहा कि लगभग इतना बजट खट्टर सरकार के कैबिनेट मंत्रियों की गाड़ी के तेल का बजट है। इससे बड़ा मजाक हरियाणा की बेटियों के साथ और कोई नहीं हो सकता। सांसद ने मांग करी कि इस योजना के बजट प्रावधान को तुरंत बढ़ाया जाये और बजट का शत प्रतिशत उपयोग सुनिश्चित किया जाये। दीपेन्द्र हुड्डा ने आगे कहा कि हरियाणा की भाजपा सरकार लोगों को भ्रमित करने और दिखावे के लिये गलत तथ्यों को पेश करना और दूसरों के कामों का श्रेय लूटना बंद करे और चुनाव के समय जनता से किये गये वादों के मुताबिक जमीन पर काम शुरु करे।
कांग्रेस सांसद ने प्रदेश के लिंगानुपात में हो रहे सुधार पर संतुष्टि जताते हुए कहा कि इस तरह के बदलाव महीने-दो महीने या एक साल में संभव नहीं होते। जिस अवधि में प्रदेश में लिंगानुपात में धीमे-धीमे सुधार हुआ है, उसमें से पिछले 10 वर्षों में 9 वर्ष चौ. भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की सरकार थी। लिंगानुपात सुधार की दिशा में उनकी सरकार का साथ सभी प्रदेशवासियों ने दिया और पूर्ववर्ती सरकार की योजनाओं को अपना कर उन पर मुहर लगाने का काम किया। उन्होंने आगे कहा कि पूर्ववर्ती हुड्डा सरकार ने लाडली योजना के अलावा उच्च शिक्षा के लिये महिला विश्वविद्यालय, विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाओं, स्टाम्प ड्यूटी में छूट, मुफ्त बस पास, देश में सर्वाधिक आगनवाड़ी वर्कर मानदेय आदि योजनाओं के माध्यम से महिलाओं के सर्वांगीण विकास और सशक्तिकरण हेतु काम किया। जिसका सुखद परिणाम आज सबके सामने दिख रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि यह बड़ा सामाजिक बदलाव है, जो लोगों में बढ़ती जागरुकता को प्रतिबिंबित करता है।