लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के सचेतक, पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने आज कहा कि सरकार पहले वन रैंक-वन पेंशन लागू करने की तारीख घोषित करे फिर संसद चलाये। उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिकों की वर्षों पुरानी यह मांग यूपीए शासनकाल में ही मंजूर हो चुकी है। इसे लागू करने में जानबूझ कर देरी की जा रही है। उन्होंने आज ही संसद में पूर्व सैनिकों की इस मांग को लागू कराने के लिये एक बार फिर से नोटिस देते हुए सरकार से इस मुद्दे पर जवाब मांगा और संसद की कार्यवाही 12 बजे स्थगित होते ही दीपेन्द्र जंतर-मंतर पर पिछले 50 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे पूर्व सैनिकों से सीधे मिलने पहुंचे। उन्होंने पूर्व सैनिकों के आन्दोलन का समर्थन करते हुए कहा कि इस देश का दुर्भाग्य है कि पूर्व-सैनिकों को अपने अधिकार के लिये इस सरकार के खिलाफ भूख हड़ताल करनी पड़ रही है। यह सरकार मनमाना और दमनकारी रवैया अपनाये हुए है।
ओरआरओपी नारे की टोपी पहनकर जंतर-मंतर पर भूख हड़ताल पर बैठे पूर्व सैनिकों का समर्थन करते हुए दीपेन्द्र ने कहा कि भाजपा सरकार अपने दूसरे सभी वादों की तरह ही सैनिकों के साथ किये इस वादे से भी मुकर गयी है। उन्होंने लगभग 32 लाख पूर्व सैनिकों की चिंताओं को साझा करते हुए कहा कि हरियाणा सहित देश भर के पूर्व सैनिक वन रैंक, वन पेंशन लागू करने की मांग को लेकर आन्दोलन पर मजबूर हो गये हैं। झज्जर, भिवानी सहित दिल्ली के जंतर-मंतर पर हमारे सैनिक भूख हड़ताल कर रहे हैं। जो सैनिक पाकिस्तान और चीन से लड़ते थे, उन्हें आज खुद की सरकार से लड़ना पड़ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि वन रैंक-वन पेंशन से वर्तमान समय में सेना में काम कर रहे सैनिकों की भावनाएं भी जुड़ी हुई हैं। क्योंकि ये सैनिक जानते हैं कि एक दिन उन्हें भी पूर्व सैनिकों की कतार में शामिल होना है। इस सरकार को झुकाने के लिये चाहे जो करना पड़े, वह करेंगे।
गौरतलब है कि इससे पहले सांसद दीपेन्द्र ने यूपीए के शासनकाल में वर्ष 2012 में और पिछले वर्ष संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान ‘वन रैंक-वन पेंशन’ का मुद्दा प्रभावी ढंग से उठाया था। उन्होंने सरकार पर इस मुद्दे को लटकाने और अफसरशाही के जाल में फंसाने का आरोप लगाते हुए तुरंत लागू करने की मांग रखी थी। श्री हुड्डा ने लोकसभा में जोरदार ढंग से कहा था कि ‘वन रैंक-वन पेंशन’यूपीए सरकार के समय फरवरी, 2014 में ही मंजूर हो चुकी थी। जिसका सभी राजनीतिक दलों के साथ-साथ मौजूदा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भी समर्थन किया था और वाह-वाही लूटने के इरादे से इसे भाजपा के चुनावी वादों में शामिल करते हुए 100 दिन के भीतर लागू करने का वादा किया था।
कांग्रेस सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि पूर्व सैनिकों को इस बात का अंदेशा है कि केन्द्र सरकार अफसरशाही के जाल में वन रैंक, वन पेंशन को फंसाकर इसे लागू नहीं करना चाहती। उन्होंने सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि कोश्यारी समिति की सिफारिशों को यूपीए सरकार ने अनुमोदित किया था, जिसमें 9,000 करोड़ का सालाना बजट प्रस्तावित किया गया था। जबकि, 2014-15 के बजट प्रावधान में इस योजना में पूरे साल के लिये केवल 1,000 करोड़ रुपये आवंटित किये गये, जो इस योजना की तीन महीनों की जरुरत को पूरा करने के लिये भी काफी नहीं।